Sadhana Shahi

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मांँ का आशीष (कविता) स्वैच्छिक प्रतियोगिता हेतु 27-Feb-2024

दिनांक- 27,02 ,2024 दिवस- मंगलवार स्वैच्छिक विषय- माँ का आशीष प्रतियोगिता हेतु

लेखनी हो तेरी ऐसी, जो दर्द को भी दवा बना दे। बधाएंँ जितनी भी आएंँ, वो तुझको रहनुमा बना दें। संघर्ष की भट्टी में जलकर, खरा कुंदन सदा बनना। सह- लेखक और संकलन, से प्रारंभ हुआ लेखन का सफ़र। तेरी इंद्रियानुभव तुझे , अब महादेवी वर्मा बना दे। जीवन में जहाॅं पहुॅंचना है , उसे आज ठान ले । तुझमें ताकत कितनी भरी है, उसे पहचान आज ले। देखकर व्याघात कभी , घबरा नहीं जाना। डरना नहीं ,थमना नहीं, आगे ही बढ़ते जाना। द्वेष करें जो देखकर , उन्हें साथ में लेना। हर कदम पर अपने त्रुटियों को , ऐसे जान तुम लेना। बिन रण के किए किसी को, उद्देश्य कभी नहीं मिलता । परिश्रम के सागर में ही, सफलता का मोती सदा तिरता। परिश्रम के मोती का , कभी पानी नहीं उतरता। बिन परिश्रम के मोती का, कभी आभा नहीं दमकता। तपकर ही कुंदन, सदा खरा है होता। जिसको न तपाया जाता, वह सदा बुरा है होता। परिश्रम की भट्टी में तपकर, तुझे भी खरा बनना है। इस तरह एक दिन, सफलता का झंडा गाड़ना है।

साधना शाही, वाराणसी

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5 Comments

madhura

02-Feb-2025 09:46 AM

awesome

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Gunjan Kamal

28-Feb-2024 12:55 PM

👏👌

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Mohammed urooj khan

28-Feb-2024 12:32 PM

👌🏾👌🏾👌🏾

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